2 मई को 3 यूरोपीय देशाें के जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी स्वदेश लौट आए है। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने विश्व नेताओं को उपहार देने के लिए जिन चीजों को चुना, वे भारत की समृद्ध और विविध परंपराओं को दर्शाता है।
डोकरा नाव।
पीएम मोदी ने डेनमार्क के क्राउन प्रिंस फ्रेड्रिक को छतीसगढ़ की पहचान 'डोकरा नाव' भेंट की। डोकरा गैर-लौह धातु है, जो मोम कास्टिंग तकनीक से बनाई जाती है। इस प्रकार की धातु का उपयोग भारत में 4,000 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है।
रोगन पेंटिंग।
डेनमार्क की महारानी मार्ररेट -2 को प्रधानमंत्री ने गुजरात की रोगन पेंटिंग गिफ्ट की। इसमें उबले हुए तेल और वनस्पति से तैयार रंगों से बने पेंट को धातु के ब्लॉक का उपयोग करते हुए कपड़े पर सजाया जाता है। 20वीं शताब्दी के अंत में यह शिल्प लगभग समाप्त हो गया था, लेकिन वर्तमान में केवल एक परिवार इसे बचाए हुए है।
मीनाकारी पक्षी।
पीएम मोदी ने डेनमार्क की राजकुमारी मैरी का चांदी की बनी 'मीनाकारी पक्षी' की आकृति भेंट की। इस शो पीस को चांदी की तामचीनी की कला से तैयार किया गया है। यह कला वाराणसी में 500 सालों से चली आ रही है, जिसकी जड़ें मीनाकारी की फारसी कला में हैं।
ट्री ऑफ लाइफ।
फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन को पीएम मोदी ने 'ट्री ऑफ लाइफ' उपहार में दिया। यह राजस्थान की पहचान मानी जाती है। हाथ से तैयार की गई यह सजावटी कला कृति जीवन के विकास को दिखाती है। पेड़ की जड़ें पृथ्वी से संबंध, पत्तियां और पक्षी जीवन जबकी मोमबत्ती स्टैंड प्रकाश काे दिखाता है।
कच्छ कढ़ाई।
डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन को पीएम ने कच्छ एंब्रॉयडरी वाली वॉल हैंगिंग भेंट की। कच्छ कढ़ाई गुजरात के आदिवासी समुदाय की एक हस्तशिल्प और वस्त्र हस्ताक्षर कला परंपरा है। अपने समृद्ध डिजाइनों के कारण भारतीय कढ़ाई परंपराओं में इसका उल्लेखनीय योगदान है।
कश्मीरी पश्मीना स्टोल।
पीएम मोदी ने स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन को जम्मू कश्मीर की विशेष शैली में सुसज्जित बॉक्स में एक पश्मीना स्टोल भेंट किया। कश्मीरी पश्मीना स्टोल अपनी दुर्लभ सामग्री, उत्तम शिल्प कौशल के लिए जाना जाता है।
कोफ्तगिरी कला वाली ढाल।
नॉर्वे के पीएम जोनास गहर स्टोर को पीएम मोदी ने राजस्थान की कोफ्तगिरी कला वाली ढाल भेंट की। धातु पर तारकशी (कोफ्तगिरी) राजस्थान की एक पारंपरिक कला है और इसका उपयोग हथियारों और कवच को सजाने के रूप में किया जाता है।
तारीख: 07/05/2022
लेखक: शत्रुंजय कुमार।
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