महान जपानी फिल्मकार: अकीरा कुरासोवा-
"अगर आपने सत्यजीत रे की फिल्में नहीं देखी तो इसका मतलब आपने सूरज और चांंद भी नहीं देखा"
सिनेमाई जादूगर।
अपने लगभग 43 साल के फिल्म-निर्माण के करियर में, सत्यजीत रे ने निर्देशक, संगीतकार, लेखक, चित्रकार और की जिम्मेजादारीयां निभाई। जीवन में कुल 36 फिल्में बनाने वाले रे ने परदेेपर साहित्य और सिनेमा का जो रिश्ता जोड़ा वह अदभुत हैै। सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए 1992 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसी वर्ष सत्यजीत रे का 64वें ऑस्कर समारोह में मानद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पाथेर पंचाली।
1955 में आई सत्यजीत रे की पहली फिल्म थी पाथेर पांचाली, जिसका अर्थ होता है, 'पथ गीत'। बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित फिल्म में अपु नाम के किरदार और उसके गरीब परिवार के संघर्षों को दिखाया गया है।
2018 में इसे बीबीसी की 100 सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्मों की सूची में 15वां स्थान दिया गया।
चारूलता।
1964 में आई सत्यजीत रे कि यह फिल्म रवीन्द्रनाथ टैगोर के नॉवल नस्तानईरह (द ब्रोकन नेस्ट) पर आधारित है। फिल्म में चारूलता की कहानी दिखाई गइ है, जो विवाह के काफी समय बाद भी निसंतान है। राय की बेहतरीन फिल्माें में से एक मानी जाने वाली इस मूवी में सौमित्र चटर्जी और मुखर्जी जैसे कलाकाार हैं।
नायक।
1966 में आई फिल्म 'नायक' सत्यजीत रे की 'कंचनजंघा' (1962) के बाद दूसरी मूल पटकथा थी। एक ट्रेन के अंदर बनाइ गई यह फिल्म 24 घंंटे की एक ट्रेन यात्रा दिखाती है, जहां एक युवा पत्रकार (शर्मिला टैगाेर) अपनी मैगजीन के लिए एक प्रसिद्ध फिल्म स्टार (उतम कुमार) का साक्षात्कार करती है। फिल्म की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, पत्रकार फिल्म स्टार के फेम के पीछे एक अकेले इंसान को पाती है।
शतरंज के खिलाड़ी।
मुंशी प्रेमचंद की लघु कहानी पर आधारित सत्यजीत रे ने 1977 में 'शतरंज के खिलाड़ी' का निर्देशन किया। यह उनकी एकमात्र हिंदी फिल्म थी। इसमें दो अमीर नवाबों को दिखाया गया है, जिन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा राजगद्दी से हटाया जाता है।
विलासिता में डूबे इन नवाबोंं को शतरंज पर लगाए रहते है। फिल्म में संजीव कुमार, शबाना आजमी, सईद जाफरी, अमजद खान, फारूख शेख और टॉम ऑल्टर जैसे दिग्गज अभिनेता थे।
घरे बाइरे।
रवीन्द्रनाथ टैगोर के उपन्यास से प्रेरित, 1984 में आई इस फिल्म की स्क्रिप्ट का शुरूआती ड्राफ्ट सत्यजीत रे ने 1940 के दशक में ही लिख लिया था। फिल्म की कहानी त्रिकोणीय प्रेम के आस पास घूमती है, जिसमें एक जमींदार की पत्नी को उसके करीबी दोस्त से प्रेम हो जाता है। इस फिल्म ने 3 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते थे।
तारीख: 02/05/2022
लेखक: राकेश कुमार।
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